• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • Quotation
    • Quotation
    • Quotation
    • सच्चा आनन्द प्राप्त करने का मार्ग
    • VigyapanSuchana
    • ऐसा स्वर भर
    • ऐसा स्वर भर (kavita)
    • सर्वांगीण विकास और उसका आधार
    • आहार की शुद्धि का महत्व
    • उत्कृष्ट विचारों का सतत सान्निध्य
    • Quotation
    • Quotation
    • Quotation
    • Quotation
    • जीव और ब्रह्मा
    • इसके अतिरिक्त और कोई चारा नहीं
    • Quotation
    • Quotation
    • Quotation
    • Quotation
    • परिवर्तन कठिन नहीं—सरल है
    • Quotation
    • Quotation
    • दूरदर्शी और विवेकवान बेंत
    • Quotation
    • Quotation
    • Quotation
    • Quotation
    • सच्ची विद्या
    • यह आवश्यक है—उपेक्षणीय नहीं
    • Quotation
    • हम बदलेंगे तो जमाना भी बदलेगा
    • Quotation
    • Quotation
    • Quotation
    • परिवार का पालन ही नहीं निर्माण भी करें
    • Quotation
    • Quotation
    • Quotation
    • देव, दानव और मनुष्य
    • Quotation
    • ज्ञान-यज्ञ के लिए समय दान
    • Quotation
    • Quotation
    • Quotation
    • हमारी आज की कार्य-पद्धति यह हो
    • Quotation
    • Quotation
    • Quotation
    • Quotation
    • युग-निर्माण के उपयुक्त प्रबुद्ध व्यक्तियों की आवश्यकता
    • Quotation
    • Quotation
    • भगवान बुद्ध और अंगुलिमाल डाकू
    • लघु कथा-कर्तव्य-पालन सर्वोपरि है।
    • मनोयोगपूर्वक श्रम।
    • प्रगाढ़ स्नेह-सौजन्य का आह्वान
    • VigyapanSuchana
    • दिग्भ्रान्त-साधक
    • दिग्भ्रान्त-साधक (kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • Quotation
    • Quotation
    • Quotation
    • सच्चा आनन्द प्राप्त करने का मार्ग
    • VigyapanSuchana
    • ऐसा स्वर भर
    • ऐसा स्वर भर (kavita)
    • सर्वांगीण विकास और उसका आधार
    • आहार की शुद्धि का महत्व
    • उत्कृष्ट विचारों का सतत सान्निध्य
    • Quotation
    • Quotation
    • Quotation
    • Quotation
    • जीव और ब्रह्मा
    • इसके अतिरिक्त और कोई चारा नहीं
    • Quotation
    • Quotation
    • Quotation
    • Quotation
    • परिवर्तन कठिन नहीं—सरल है
    • Quotation
    • Quotation
    • दूरदर्शी और विवेकवान बेंत
    • Quotation
    • Quotation
    • Quotation
    • Quotation
    • सच्ची विद्या
    • यह आवश्यक है—उपेक्षणीय नहीं
    • Quotation
    • हम बदलेंगे तो जमाना भी बदलेगा
    • Quotation
    • Quotation
    • Quotation
    • परिवार का पालन ही नहीं निर्माण भी करें
    • Quotation
    • Quotation
    • Quotation
    • देव, दानव और मनुष्य
    • Quotation
    • ज्ञान-यज्ञ के लिए समय दान
    • Quotation
    • Quotation
    • Quotation
    • हमारी आज की कार्य-पद्धति यह हो
    • Quotation
    • Quotation
    • Quotation
    • Quotation
    • युग-निर्माण के उपयुक्त प्रबुद्ध व्यक्तियों की आवश्यकता
    • Quotation
    • Quotation
    • भगवान बुद्ध और अंगुलिमाल डाकू
    • लघु कथा-कर्तव्य-पालन सर्वोपरि है।
    • मनोयोगपूर्वक श्रम।
    • प्रगाढ़ स्नेह-सौजन्य का आह्वान
    • VigyapanSuchana
    • दिग्भ्रान्त-साधक
    • दिग्भ्रान्त-साधक (kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1963 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT SCAN


Quotation

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 27 29 Last
पादाहत यदुत्थाय मूर्धानमधिरोहति।

स्वस्थादेवापमानेऽपि देहिनस्तद्वरं रजः॥

—माघ

“जो धूल पैर से ठुकराए जाने पर उड़ कर ठोकर मारने वाले के सिर पर चढ़ कर बैठ जाती है, वह अपमान सह कर भी निश्चिन्त बने रहने वाले देहधारी मनुष्य की अपेक्षा श्रेष्ठ है।”

अपनी दुर्बलताएँ छोड़ने के लिए यह आवश्यक है कि उनकी हानियों पर अधिक से अधिक विचार किया जाय। साथ ही वह बुराई छोड़ देने पर जो लाभ मिलेगा उसका आशापूर्ण चित्र भी मन में बनाना चाहिए। नशा छोड़ना हो तो उसके द्वारा जो शारीरिक, आर्थिक और मानसिक हानियाँ होती हैं उन पर विचार करना और उसे छोड़ने पर स्वास्थ्य सुधार, पैसे की बचत तथा मनोबल बढ़ने का सुनहरा चित्र मनःक्षेत्र में स्थापित करना आवश्यक है। कुछ दिन लगातार यह उपक्रम चलने लगे तो नशे के प्रति घृणा हो जायगी और वह अवश्य छूट जायगा । किन्तु यदि इस प्रक्रिया को पूर्ण किये बिना ही किसी जोश आवेश में नशा छोड़ देने की प्रतिज्ञा कर ली है तो यह आशंका ही बनी रहेगी कि वह उत्साह ठण्डा होने पर पुरानी आदत फिर प्रबल हो उठे और नशा करना शुरू हो जाय। इसलिए इस सुनिश्चित तथ्य को भली प्रकार समझ लेना चाहिए कि जीवन को सुधार की दिशा में मोड़ने के लिए उत्कृष्ट कोटि की विचारधारा को मनोभूमि में नियमित रूप से स्थान देते रहना नितान्त आवश्यक है। इस अनिवार्य आवश्यकता की उपेक्षा करके कभी कोई व्यक्ति न अब तक आत्म निर्माण कर सकता है और न आगे कर सकेगा।

युग निर्माण का सद्संकल्प सितम्बर अंक में छपा है। इसे नित्य दुहराना चाहिए। स्वाध्याय से पहले इसे एक बार भावनापूर्वक पढ़ना और तब स्वाध्याय आरम्भ करना चाहिए। सत्संगों और विचार गोष्ठियों में इसे पढ़ा और दुहराया जाना चाहिए। एक व्यक्ति संकल्प का एक-एक वाक्य पढ़े और बाकी लोग उसे दुहरावें। इस सत्संकल्प का पढ़ा जाना हमारे नित्य नियमों का एक अंग रहना चाहिए।

यदि हम अपने व्यक्तित्व को श्रेष्ठता के ढाँचे में ढालने के लिये सचमुच ही उत्सुक एवं उद्यत हों तो अपने दैनिक कार्यक्रम में उत्कृष्ट विचारधाराओं को मस्तिष्क में ठूँसने का एक नियमित विभाग बना ही लेना चाहिए। मन लगे चाहे न लगे, फुरसत मिले चाहे न मिले, इसके लिये बलपूर्वक, हठपूर्वक समय निकालना ही चाहिए। नित्य कितने ही काम अनिच्छापूर्वक भी करते रहते हैं और समय न रहने पर भी आकस्मिक स्थिति के अनुरूप समय निकालना पड़ता है। विचार-निर्माण को भी ऐसी ही एक अनिवार्य आवश्यकता मानना चाहिए और उसके लिए हठपूर्वक कटिबद्ध हो जाना चाहिए। थोड़े ही समय में यही क्रम बहुत ही रुचिकर लगने लगेगा, सन्तोष और आनन्ददायक प्रतीत होगा।

नित्य नियमित ईश्वर उपासना के बारे में हम सदा से कहते रहे हैं। चरित्र निर्माण की आधार-शाला आस्तिकता है। ईश्वर विश्वास छोड़ देने से मनुष्य अंकुश रहित उन्मत्त हाथी की तरह आचरण करता है-अपने लिए तथा दूसरों के लिए विपत्ति का कारण बनता है। इसलिए हम में से हर एक को किसी न किसी रूप में ईश्वर उपासना नित्य ही करनी चाहिए। गायत्री उपासना की शिक्षा “अखंड ज्योति” के पृष्ठों पर लम्बे समय से हम देते चले आ रहे हैं। वह न बन पड़े तो जितना भी जिस प्रकार भी संभव हो ईश्वर स्मरण करना चाहिए। इतना तो हर कोई कर सकता है कि सो कर उठते समय पन्द्रह मिनट ईश्वर का ध्यान स्मरण करके तब अन्य कार्य करे इसी प्रकार रात को सोते समय भी परमात्मा का स्मरण करते हुए सोया जाय।

“अखण्ड ज्योति” के प्रत्येक पाठक को व युगनिर्माण योजना के प्रत्येक सदस्य को (1) अपने दैनिक जीवन में उपासना को स्थान देना चाहिये। (2) स्वाध्याय के लिए कोई निश्चित समय निर्धारित करना चाहिए। (3) नित्य युग निर्माण का सत्संकल्प पढ़ना चाहिये। (4) सोते समय आत्मनिरीक्षण का कार्यक्रम नियमित रूप से चलाना चाहिये। (5) दिन में समय-समय पर कुविचारों से लड़ते रहने की तैयारी करनी चाहिये। यह पाँच कार्यक्रम आत्मनिर्माण की दृष्टि से अत्यन्त आवश्यक हैं। युग-निर्माण अपने आप से ही आरम्भ करना है, इसलिये यह पाँच कार्य जितनी जल्दी आरम्भ किये जा सकें उतना ही उत्तम है।

First 27 29 Last


Other Version of this book



Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • Quotation
  • Quotation
  • Quotation
  • सच्चा आनन्द प्राप्त करने का मार्ग
  • VigyapanSuchana
  • ऐसा स्वर भर
  • ऐसा स्वर भर (kavita)
  • सर्वांगीण विकास और उसका आधार
  • आहार की शुद्धि का महत्व
  • उत्कृष्ट विचारों का सतत सान्निध्य
  • Quotation
  • Quotation
  • Quotation
  • Quotation
  • जीव और ब्रह्मा
  • इसके अतिरिक्त और कोई चारा नहीं
  • Quotation
  • Quotation
  • Quotation
  • Quotation
  • परिवर्तन कठिन नहीं—सरल है
  • Quotation
  • Quotation
  • दूरदर्शी और विवेकवान बेंत
  • Quotation
  • Quotation
  • Quotation
  • Quotation
  • सच्ची विद्या
  • यह आवश्यक है—उपेक्षणीय नहीं
  • Quotation
  • हम बदलेंगे तो जमाना भी बदलेगा
  • Quotation
  • Quotation
  • Quotation
  • परिवार का पालन ही नहीं निर्माण भी करें
  • Quotation
  • Quotation
  • Quotation
  • देव, दानव और मनुष्य
  • Quotation
  • ज्ञान-यज्ञ के लिए समय दान
  • Quotation
  • Quotation
  • Quotation
  • हमारी आज की कार्य-पद्धति यह हो
  • Quotation
  • Quotation
  • Quotation
  • Quotation
  • युग-निर्माण के उपयुक्त प्रबुद्ध व्यक्तियों की आवश्यकता
  • Quotation
  • Quotation
  • भगवान बुद्ध और अंगुलिमाल डाकू
  • लघु कथा-कर्तव्य-पालन सर्वोपरि है।
  • मनोयोगपूर्वक श्रम।
  • प्रगाढ़ स्नेह-सौजन्य का आह्वान
  • VigyapanSuchana
  • दिग्भ्रान्त-साधक
  • दिग्भ्रान्त-साधक (kavita)
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj