• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • प्रथम अध्याय— युग-सन्धि की प्रसव-पीड़ा और प्रज्ञावतरण
    • इस सुयोग-सौभाग्य को खोयें नहीं
    • स्वयं बदलें—प्रवाह को उलटें
    • युगशिल्पी अहंमन्यता के विष-पान से बचे रहें
    • अध्यात्म क्षेत्र की वरिष्ठता—विनम्रता पर निर्भर
    • प्रज्ञा परिजनों के सप्त महाव्रत
    • सृजन यज्ञ में हमारी श्रद्धांजलियां समर्पित होनी ही चाहिए
    • द्वितीय अध्याय— प्रज्ञा संस्थानों का निर्माण और उनके उत्तरदायित्व
    • प्रज्ञा संस्थानों को प्राणवान रखा जाय
    • कार्यकर्ताओं की नियुक्ति को अनिवार्य प्राथमिकता दी जाए
    • ‘‘ज्ञानरथ’’ समय की महती आवश्यकता
    • झोला पुस्तकालय चलायें—युग चेतना लायें
    • लोकरंजन और लोकमंगल का समन्वय स्लाइड प्रोजेक्टर
    • आदर्श वाक्य—बोलती दीवारें
    • जन्म दिवसोत्सव, देखने में छोटा किन्तु परिणाम में महान
    • एकाकी प्रयत्न से चल पड़ने वाले प्रज्ञा मंदिर
    • इस वर्ष के दो विशेष अभियान
    • तृतीय अध्याय— प्रज्ञा परिवार का पुनर्गठन
    • शोध-संसद— ब्रह्मवर्चस् शोध के लिए मनीषा को युग निमंत्रण
    • युग प्रवक्ता संसद— धर्मतन्त्र की गरिमा समझें और उसे परिष्कृत करें
    • तीर्थ यात्रा की पुण्य प्रक्रिया का पुनर्जीवन
    • युग शिल्पी संसद— युग शिल्पी संसद की कार्य पद्धति का श्रीगणेश
    • युग गायक संसद— वाणी के कलाकार एक कदम आगे आयें
    • उपाध्याय संसद— उपाध्याय वर्ग नई पीढ़ी को युग चेतना से अनुप्राणित करें
    • युग प्रहरी संसद— प्रज्ञा परिजनों के लिए अणुव्रत
    • सम्पर्क संसद— जिन्हें जन सम्पर्क का सुयोग प्राप्त है वे उसमें कुछ और भी जोड़ें
    • भविष्य निर्माता संसद— युवा पराक्रम नव सृजन की दिशाधारा अपनाये
    • चतुर्थ अध्याय— युग शिल्पी प्रशिक्षण का संक्षिप्त पाठ्यक्रम
    • प्रज्ञा योग हृदयंगम करने योग्य तत्वदर्शन
    • प्रज्ञा योग की क्रिया परक साधना पद्धति
    • आसन प्राणायाम से आधि-व्याधि निवारण
    • जड़ी-बूटियों से स्वास्थ्य संरक्षण एकौषधि उपचार पद्धति
    • दिव्य औषधियों द्वारा आध्यात्मिक कायाकल्प
    • देव संस्कृति का पुनरुत्थान और तुलसी अभियान
    • आन्तरिक कायाकल्प हेतु आहार साधना
    • धर्मानुष्ठानों के क्रियाकृत्य उद्देश्यपूर्ण रहें
    • छोटे-बड़े धार्मिक आयोजन की व्यापक व्यवस्था चल पड़े
    • देव दक्षिणा प्रत्येक धर्मानुष्ठान का अविच्छिन्न अंग
    • युग-संगीत उभरे और व्यापक बने
    • प्रज्ञा पुराण कथा—उद्देश्य और स्वरूप
    • प्रज्ञा आयोजनों की तैयारी इस प्रकार करें
    • प्राणवान कार्यकर्ता अपने क्षेत्रों का उत्तरदायित्व संभालें
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • प्रथम अध्याय— युग-सन्धि की प्रसव-पीड़ा और प्रज्ञावतरण
    • इस सुयोग-सौभाग्य को खोयें नहीं
    • स्वयं बदलें—प्रवाह को उलटें
    • युगशिल्पी अहंमन्यता के विष-पान से बचे रहें
    • अध्यात्म क्षेत्र की वरिष्ठता—विनम्रता पर निर्भर
    • प्रज्ञा परिजनों के सप्त महाव्रत
    • सृजन यज्ञ में हमारी श्रद्धांजलियां समर्पित होनी ही चाहिए
    • द्वितीय अध्याय— प्रज्ञा संस्थानों का निर्माण और उनके उत्तरदायित्व
    • प्रज्ञा संस्थानों को प्राणवान रखा जाय
    • कार्यकर्ताओं की नियुक्ति को अनिवार्य प्राथमिकता दी जाए
    • ‘‘ज्ञानरथ’’ समय की महती आवश्यकता
    • झोला पुस्तकालय चलायें—युग चेतना लायें
    • लोकरंजन और लोकमंगल का समन्वय स्लाइड प्रोजेक्टर
    • आदर्श वाक्य—बोलती दीवारें
    • जन्म दिवसोत्सव, देखने में छोटा किन्तु परिणाम में महान
    • एकाकी प्रयत्न से चल पड़ने वाले प्रज्ञा मंदिर
    • इस वर्ष के दो विशेष अभियान
    • तृतीय अध्याय— प्रज्ञा परिवार का पुनर्गठन
    • शोध-संसद— ब्रह्मवर्चस् शोध के लिए मनीषा को युग निमंत्रण
    • युग प्रवक्ता संसद— धर्मतन्त्र की गरिमा समझें और उसे परिष्कृत करें
    • तीर्थ यात्रा की पुण्य प्रक्रिया का पुनर्जीवन
    • युग शिल्पी संसद— युग शिल्पी संसद की कार्य पद्धति का श्रीगणेश
    • युग गायक संसद— वाणी के कलाकार एक कदम आगे आयें
    • उपाध्याय संसद— उपाध्याय वर्ग नई पीढ़ी को युग चेतना से अनुप्राणित करें
    • युग प्रहरी संसद— प्रज्ञा परिजनों के लिए अणुव्रत
    • सम्पर्क संसद— जिन्हें जन सम्पर्क का सुयोग प्राप्त है वे उसमें कुछ और भी जोड़ें
    • भविष्य निर्माता संसद— युवा पराक्रम नव सृजन की दिशाधारा अपनाये
    • चतुर्थ अध्याय— युग शिल्पी प्रशिक्षण का संक्षिप्त पाठ्यक्रम
    • प्रज्ञा योग हृदयंगम करने योग्य तत्वदर्शन
    • प्रज्ञा योग की क्रिया परक साधना पद्धति
    • आसन प्राणायाम से आधि-व्याधि निवारण
    • जड़ी-बूटियों से स्वास्थ्य संरक्षण एकौषधि उपचार पद्धति
    • दिव्य औषधियों द्वारा आध्यात्मिक कायाकल्प
    • देव संस्कृति का पुनरुत्थान और तुलसी अभियान
    • आन्तरिक कायाकल्प हेतु आहार साधना
    • धर्मानुष्ठानों के क्रियाकृत्य उद्देश्यपूर्ण रहें
    • छोटे-बड़े धार्मिक आयोजन की व्यापक व्यवस्था चल पड़े
    • देव दक्षिणा प्रत्येक धर्मानुष्ठान का अविच्छिन्न अंग
    • युग-संगीत उभरे और व्यापक बने
    • प्रज्ञा पुराण कथा—उद्देश्य और स्वरूप
    • प्रज्ञा आयोजनों की तैयारी इस प्रकार करें
    • प्राणवान कार्यकर्ता अपने क्षेत्रों का उत्तरदायित्व संभालें
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Books - प्रज्ञा अभियान का दर्शन स्वरूप और कार्यक्रम

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT


आदर्श वाक्य—बोलती दीवारें

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 13 15 Last

रास्ते में पड़ने वाली दीवारों पर बड़े अक्षरों में आदर्श वाक्य लिखने से वहां से निकलने वालों की दृष्टि अनायास की पड़ती है और अनायास ही उनका मस्तिष्क उन प्रतिपादनों को अपनाने लगता है। लोक शिक्षण का यह तरीका व्यवसायी लोग बहुत दिनों से अपना रहे हैं और इस मद में खर्च करने की तुलना में कहीं अधिक लाभ उठा रहे हैं। यही बात घरों में, कमरों में सचित्र कलेण्डर टांगने के सम्बन्ध में है। नये वर्ष के उपहार में व्यापारी अपने आप माल का विज्ञापन इस माध्यम से करते हैं। लोग चित्र सज्जा के लालच में व्यापारियों के माल पर दृष्टि जमाते हैं। फलतः उपहार देने वाले उसे प्रक्रिया के द्वारा प्रकारांतर अनेक गुना लाभ उठाते हैं।
लोक मानस को प्रशिक्षित करने के लिए रास्ते में पड़ने वाली दीवारों पर आदर्शवाक्य लिखा जाना एक अच्छा प्रचार माध्यम है। इसके लिए लिखने वाले को अपनी लिपि सुधारनी चाहिए। सौन्दर्य सर्वत्र आकर्षक होता है। लिपि के सम्बन्ध में भी यही बात है। स्याही सस्ती, गहरी और टिकाऊ होनी चाहिए। इस दृष्टि से काला और लाल रंग ही उपयुक्त पड़ता है। लाल रंग का काम गेरू से भी लिया जा सकता है। गोंद या सरेस मिला देने से वह अधिक टिकाऊ हो जाती है। लिखने में ब्रुश की काम आते हैं। जहां उपयुक्त स्थान जंचे वहां उसी साइज में फिट होने वाले अक्षर लिखने चाहिए। टीन या प्लास्टिक के बने स्टेन्सिल भी इस काम के लिए उपयुक्त रहते हैं। उनसे जल्दी भी होती है और अक्षर भी सुन्दर लिखे जात सकते हैं।
घरों में टांगने के लिए आदर्श वाक्यों का सेट उपयुक्त रहता है। कमरे की चार दीवारों में से लम्बाई वाले भाग में चार-चार और चौड़ाई  वाले भाग में तीन-तीन लगा देने से कुछ चौदह वाक्यों में कमरा बोलती दीवार का काम दें जाता है। घर में रहने वालों की तो दृष्टि उन पर पड़ती ही रहती है। मेहमानों आगन्तुकों के मस्तिष्क को भी झकझोरते और नये ढंग से सोचने के लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं। स्त्रियों बच्चों के लिए प्रयुक्त होने वाले कमरों में उनके लिए जो उपयुक्त हो उसे प्रेरणाप्रद वाक्य टांगे जा सकते हैं। हैंडबैगों, अटैचियों, अलमारियों पर लगाने के लिए प्लास्टिक के बने स्टीकर चिपकाये जा सकते हैं। इस प्रकार के आदर्श वाक्य छोटे बड़े साइजों से युग निर्माण योजना मथुरा के प्राप्त हो सकते हैं।
आदर्श वाक्यों की रबड़ मुहरें भी बनाई गई हैं। इन्हें लैटर पैड, कार्ड लिफाफे, बिल, पर्चे, पढ़ने की पुस्तकों आदि पर लगाया जाता रहें तो वे अनायास ही अनेकों की दृष्टि से गुजरते और प्रभाव छोड़ते हैं। इन्हें मथुरा से मंगाया या अपने यहां बनवाया जा सकता है।
अपनी आवश्यकता एवं रुचि के अनुरूप वाक्यों का चयन और उपयोग इच्छानुसार किया जा सकता है। निर्धारित आदर्श वाक्यों में कुछ का उल्लेख नीचे किया जा रहा है। इनमें से जहां जो उपयोगी प्रतीत हो वहां उनका उपयोग किया जाय। इस प्रचार माध्यम को युग चेतना के विस्तार का महत्वपूर्ण अंडमान कर उसके उपयोग का पूरा-पूरा प्रयत्न किया जाय।
छोटे वाक्य:—

   (1)  हम बदलेंगे, युग बदलेगा-हम सुधरेंगे, युग सुधरेगा
   (2)  नर और नारी एक समान, जाति वंश सब एक समान
   (3)  बनें सुसंस्कृत सभ्य कहायें, हिल मिल रहें बांट कर खायें
   (4)  श्रम से बचें न समय गंवाये, कर्तव्यों से जी न चुरायें।
बड़े वाक्य:—

    (1)  जो अपनी सहायता आप करने को तत्पर है, ईश्वर केवल उन्हीं की सहायता करता है।
    (2)  परमेश्वर का प्यार केवल सदाचारी और कर्तव्य परायणों के लिए सुरक्षित है।
    (3)  नास्तिकता का अर्थ है, नैतिक और सामाजिक अनुशासन की अवज्ञा, अवहेलना।
    (4)  दूसरों के साथ वैसी ही उदारता बरतो जैसे ईश्वर ने तुम्हारे साथ बरती है।
    (5)  जिसने जीवन में स्नेह सौजन्य का समुचित समावेश किया, सचमुच वही सच्चा कलाकार है।
    (6)  शालीनता बिना मोल नहीं मिलती, पर उससे सब कुछ खरीदा जा सकता है।
    (7)  मनुष्य जन्म सहज है, पर मनुष्यता कठिन प्रयत्न करके कमानी पड़ती है।
    (8)  सभ्यता का स्वरूप है—सादगी, अपने लिए कठोरता और दूसरों के लिए उदारता।
    (9)  विपरीत परिस्थितियों में भी जो ईमान, साहस और धैर्य अपनाये रहे वही सच्चा शूरवीर है।
  (10)  मुस्कान बिखेरें, सहानुभूति दर्शायें और हाथ बंटायें, देखेंगे कि विराने भी अपने हो चले।
  (11)  बड़प्पन अमीरी में नहीं ईमानदारी और सज्जनता में सन्निहित है।
  (12)  सज्जन अमीरी में गरीब जैसे नम्र और गरीबी में अमीर जैसे उदार रहते हैं।
  (13)  गृहस्थ एक तपोवन है, जिसमें संयम, सेवा और सहिष्णुता की साधना करनी पड़ती है।
  (14)  प्यार और सहकार से भरा पूरा परिवार ही धरती का स्वर्ग है।
  (15)  धन से ज्ञान बड़ा है, क्योंकि धन हम रखाते हैं और ज्ञान हमारी रखवाली करता है।
  (16)  अनजान होना उतनी लज्जा की बात नहीं, जितनी सीखने के लिए तैयार ही न होना।
  (17)  प्रसन्न रहने के दो उपाय हैं, आवश्यकताएं कम करें और परिस्थितियों से तालमेल बिठायें।  (18)  अच्छी पुस्तकें जीवन्त देव प्रतिमाएं हैं। उनकी साधना से तत्काल प्रकाश मिलता है।
  (19)  आलस्य से बढ़कर अधिक घातक और अधिक समीपवर्ती शत्रु दूसरा नहीं।
  (20)  कायर मृत्यु से पूर्व अनेकों बार मर चुकता है, जबकि बहादुर को एक दिन ही मरना पड़ता है।
  (21)  उन्हें मत सराहो जिन्होंने अनीति पूर्वक सफलता पाई और सम्पत्ति कमाई।
  (22)  असफलता केवल यह सिद्ध करती है कि सफलता का प्रयत्न पूरे मन से नहीं हुआ।
  (23)  कुकर्मी से बढ़कर अभागा और कोई नहीं क्योंकि विपत्ति में उनका कोई साथी नहीं रहता।
  (24)  मनुष्य परिस्थितियों का दास नहीं, वह उनका नियामक, परिवर्तनकर्त्ता और स्वामी है।

First 13 15 Last


Other Version of this book



प्रज्ञा अभियान का दर्शन स्वरूप और कार्यक्रम
Type: TEXT
Language: HINDI
...


Releted Books



21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

The Absolute Law of Karma
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

संत विनोबा भावे
Type: SCAN
Language: HINDI
...

त्योहार और व्रत
Type: SCAN
Language: HINDI
...

त्योहार और व्रत
Type: SCAN
Language: HINDI
...

अन्तर्जगत् की यात्रा का ज्ञान-विज्ञान -1
Type: TEXT
Language: HINDI
...

अन्तर्जगत् की यात्रा का ज्ञान-विज्ञान -1
Type: TEXT
Language: HINDI
...

युगसंधि महापुरश्चरण और संकट निवारण
Type: TEXT
Language: HINDI
...

युगसंधि महापुरश्चरण और संकट निवारण
Type: TEXT
Language: HINDI
...

गर पूछे कोई मुझसे तो मैं कहूँ कि स्वर्ग बस यहीं है
Type: TEXT
Language: EN
...

गर पूछे कोई मुझसे तो मैं कहूँ कि स्वर्ग बस यहीं है
Type: TEXT
Language: EN
...

आध्यात्मिक कायाकल्प का विधि- विधान-२
Type: TEXT
Language: HINDI
...

ऋगवेद भाग 2-A
Type: SCAN
Language: EN
...

ऋगवेद भाग 2-A
Type: SCAN
Language: EN
...

भगवान को मत बहकाइए
Type: TEXT
Language: EN
...

भगवान को मत बहकाइए
Type: TEXT
Language: EN
...

गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Articles of Books

  • प्रथम अध्याय— युग-सन्धि की प्रसव-पीड़ा और प्रज्ञावतरण
  • इस सुयोग-सौभाग्य को खोयें नहीं
  • स्वयं बदलें—प्रवाह को उलटें
  • युगशिल्पी अहंमन्यता के विष-पान से बचे रहें
  • अध्यात्म क्षेत्र की वरिष्ठता—विनम्रता पर निर्भर
  • प्रज्ञा परिजनों के सप्त महाव्रत
  • सृजन यज्ञ में हमारी श्रद्धांजलियां समर्पित होनी ही चाहिए
  • द्वितीय अध्याय— प्रज्ञा संस्थानों का निर्माण और उनके उत्तरदायित्व
  • प्रज्ञा संस्थानों को प्राणवान रखा जाय
  • कार्यकर्ताओं की नियुक्ति को अनिवार्य प्राथमिकता दी जाए
  • ‘‘ज्ञानरथ’’ समय की महती आवश्यकता
  • झोला पुस्तकालय चलायें—युग चेतना लायें
  • लोकरंजन और लोकमंगल का समन्वय स्लाइड प्रोजेक्टर
  • आदर्श वाक्य—बोलती दीवारें
  • जन्म दिवसोत्सव, देखने में छोटा किन्तु परिणाम में महान
  • एकाकी प्रयत्न से चल पड़ने वाले प्रज्ञा मंदिर
  • इस वर्ष के दो विशेष अभियान
  • तृतीय अध्याय— प्रज्ञा परिवार का पुनर्गठन
  • शोध-संसद— ब्रह्मवर्चस् शोध के लिए मनीषा को युग निमंत्रण
  • युग प्रवक्ता संसद— धर्मतन्त्र की गरिमा समझें और उसे परिष्कृत करें
  • तीर्थ यात्रा की पुण्य प्रक्रिया का पुनर्जीवन
  • युग शिल्पी संसद— युग शिल्पी संसद की कार्य पद्धति का श्रीगणेश
  • युग गायक संसद— वाणी के कलाकार एक कदम आगे आयें
  • उपाध्याय संसद— उपाध्याय वर्ग नई पीढ़ी को युग चेतना से अनुप्राणित करें
  • युग प्रहरी संसद— प्रज्ञा परिजनों के लिए अणुव्रत
  • सम्पर्क संसद— जिन्हें जन सम्पर्क का सुयोग प्राप्त है वे उसमें कुछ और भी जोड़ें
  • भविष्य निर्माता संसद— युवा पराक्रम नव सृजन की दिशाधारा अपनाये
  • चतुर्थ अध्याय— युग शिल्पी प्रशिक्षण का संक्षिप्त पाठ्यक्रम
  • प्रज्ञा योग हृदयंगम करने योग्य तत्वदर्शन
  • प्रज्ञा योग की क्रिया परक साधना पद्धति
  • आसन प्राणायाम से आधि-व्याधि निवारण
  • जड़ी-बूटियों से स्वास्थ्य संरक्षण एकौषधि उपचार पद्धति
  • दिव्य औषधियों द्वारा आध्यात्मिक कायाकल्प
  • देव संस्कृति का पुनरुत्थान और तुलसी अभियान
  • आन्तरिक कायाकल्प हेतु आहार साधना
  • धर्मानुष्ठानों के क्रियाकृत्य उद्देश्यपूर्ण रहें
  • छोटे-बड़े धार्मिक आयोजन की व्यापक व्यवस्था चल पड़े
  • देव दक्षिणा प्रत्येक धर्मानुष्ठान का अविच्छिन्न अंग
  • युग-संगीत उभरे और व्यापक बने
  • प्रज्ञा पुराण कथा—उद्देश्य और स्वरूप
  • प्रज्ञा आयोजनों की तैयारी इस प्रकार करें
  • प्राणवान कार्यकर्ता अपने क्षेत्रों का उत्तरदायित्व संभालें
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj